सखी, सहेली, काकी, मामी घर की बूढ़ी अम्मा , भूल के अगला-पिछला सब मिल नाचीं छम्मा-छम्म सखी, सहेली, काकी, मामी घर की बूढ़ी अम्मा , भूल के अगला-पिछला सब मिल नाची...
इस मिट्टी का तिलक लगाकर गोद में इसकी सोना है ।। इस मिट्टी का तिलक लगाकर गोद में इसकी सोना है ।।
वापसी पर वापसी पर
कहाँ वो पत्थर की मूरत और जिंदगी दांव पर है। दूर बैठा कोई सोचे वो सवार दो दो नाव पर है! कहाँ वो पत्थर की मूरत और जिंदगी दांव पर है। दूर बैठा कोई सोचे वो सवार दो दो...
पर समझने वाला कौन वहाँ कभी बैठे, किस्मत को कोसे, कभी फड़फड़ाते, परों को रोके..... पर समझने वाला कौन वहाँ कभी बैठे, किस्मत को कोसे, कभी फड़फड़ाते, परों को रोके.....
तनिक भी न हम घबराएं दे और शान्त मन परीक्षा, सदा ही पढ़ी और सुनी है हम सबने ही ये शिक्ष तनिक भी न हम घबराएं दे और शान्त मन परीक्षा, सदा ही पढ़ी और सुनी है हम सबने ही...